मानसिक तनाव : आधुनिक जीवनशैली की देन पर निबंध


मानसिक तनाव आधुनिक जीवनशैली की देन पर निबंध
आज मनुष्य विकास के उच्चतम स्तर पर पहुँच चुका है, परंतु वह और अधिक की लालसा कर रहा है। इसकी वजह से वह एक नई बीमारी की गिरफ़्त में आ रहा है। वह है-तनाव, तनाव क्या है ?


तनाव एक मानसिक प्रक्रिया है। यह हमारे दिमाग में हमेशा रहता है। तनाव हमेशा सिर से शुरू होता है। घटनाएँ तनाव का कारण नहीं हैं, बल्कि मनुष्य इसे कैसे समझता या प्रभावित होता है, यह तनाव का कारण है। तनाव शक्तिशाली चीज़ है। यह या तो बहुत अच्छा या नुकसान का कारण हो सकता है। यह बहती नदी के समान है। जब मनुष्य इस पर बाँध बनाता है तो वह पानी की दिशा को अन्य स्थान पर अपनी इच्छा से भेज सकता है, परंतु जब नदी पर बाँध नहीं होता तो वह बहुत विनाश करती है। तनाव भी ऐसा ही है। आज समाज में तनाव से एक बहुत बड़ा तबका ग्रस्त है। मनुष्य हमेशा किसी-न-किसी उधेड़बुन में रहता है। ऐसा नहीं है कि तनाव पुराने युग में नहीं होता था। हालाँकि बहुत कम था, परंतु आधुनिक जीवन शैली से निरर्थक तनाव उत्पन्न हो रहा है, जैसे-बिजली का चला जाना, बच्चे का सही ढंग से होमवर्क न करना, भीड़ के कारण हर समय ट्रेन या बस छूटने का भय, दफ़्तर, स्कूल आदि गंतव्य पर सही समय पर न पहुँचने का भय, मीडिया द्वारा प्रचारित भय आदि द्वारा मनुष्य स्वयं को अमर या सर्वाधिक सुखी करना चाहता है, परंतु वह अपनी क्षमता व साधनों का ध्यान नहीं रखता। मनुष्य थोड़े समय में अधिक काम करना चाहता है। वह हमेशा जीतना चाहता है। इसके अतिरिक्त, आज मानव नकारात्मक प्रवृत्ति से ग्रस्त है। उसे हर कार्य में नुकसान होने का भय रहता है। तनाव रहने से मनुष्य विभिन्न व्याधियों से ग्रस्त हो जाता है। लंबे समय तक तनावग्रस्त रहने से हृदय रोग, अल्सर, रक्तचाप की बीमारी, स्मृतिहीन होना, ब्रेनस्ट्रोक आदि बीमारियाँ पैदा हो जाती हैं। मनुष्य निराशाजनक जीवन जीने लगता है। उसकी हर कार्य में रुचि समाप्त हो जाती है। वह चिड़चिड़ा, गुस्सैल प्रवृत्ति का हो जाता है। इससे बच्चे भी अछूते नहीं हैं। वे भी गुमसुम, एकाकी या भयंकर क्रोधी, आवारापन जैसी प्रवृत्ति के हो जाते हैं। तनाव हमारे जीवन के लाभ और हानि के खाते में उधार की प्रविष्टि है।


तनाव को दूर किया जा सकता है। इसके लिए मनुष्य को जीवन शैली में परिवर्तन लाने होंगे। एक मनोवैज्ञानिक के अनुसार-आम आदमी 96 प्रतिशत तक अपने तनाव को जीत सकता है।


जब मनुष्य अपनी मुश्किलों का हल नहीं कर पाता तो वह तनावग्रस्त हो जाता है। ये मुश्किलें वास्तविक विचार के न होने के कारण हैं। इसलिए मनुष्य को अधिक-से-अधिक अच्छे विचार करने चाहिए। मनुष्य को रचनात्मक ढंग से या नए तरीके से धैर्य व खुशी को ढूँढ़ना चाहिए। उसे आराम की कला सीखनी चाहिए। उसे हर एक के साथ अच्छा बनने की ज़रूरत नहीं है। उसे मिलकर कार्य करना सीखना होगा। मनुष्य को हमेशा जीतने की इच्छा नहीं रखनी चाहिए। भूलना हमेशा अच्छा होता है। मनुष्य को आराम, आनंद व स्वास्थ्य पर केंद्रित रहना चाहिए। थोड़े समय में अधिक पाने की इच्छा त्याग देनी चाहिए। मनुष्य को व्यापार के इस सिद्धांत का पालन करना चाहिए- अच्छे को बेहतर का दुश्मन न बनाइए। मनुष्य को अपनी मनोवृत्ति सकारात्मक बनानी चाहिए। मनुष्य का मस्तिष्क बहुत बड़ी भूमि के समान है, यहाँ वह खुशी या तनाव उगा सकता है। दुर्भाग्य से यह मनुष्य का स्वभाव है कि अगर वह खुशी के बीज बोने की कोशिश न करे तो तनाव पैदा होता है। खुशी फसल है और तनाव घास-फूस।


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