पर्यटन का महत्व


मानव की जिज्ञासु प्रवृत्ति ही उसे विकास के नए-नए क्षेत्र खोलने में सहायक होती है। इसी कारण वह प्रकृति के गूढ रहस्यों का पता लगा सका। इसी प्रवृत्ति के कारण आज वह कभी चाँद पर बस्ती बसाने की योजना बनाता है तो कभी समुद्र की गहराइयों में जीवन खोजने की कोशिश करता है। हर क्षण कुछ नया करने के पीछे यह जिज्ञासु प्रवृत्ति ही है।


इसी जिज्ञासु प्रवृत्ति के कारण मानव दूसरे देशों, स्थानों की यात्रा करना चाहता है। उसे दूसरे क्षेत्र की संस्कृति, सभ्यता, प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक जानकारी के बारे में जानने की इच्छा होती है । इसी कारण वह अपना सुख-चैन छोड़कर अनजान, दुर्गम व बीहड़ रास्तों पर घूमता रहता है। आधुनिक युग में इंटरनेट व पुस्तकों के माध्यम से वह हर स्थान की जानकारी प्राप्त कर सकता है, परंतु इनके द्वारा प्रदत्त जानकारी कागज के फूल की तरह होती है। आदिमानव एक ही स्थान पर रहता तो क्या दुनिया विकसित हो पाती। एक स्थान पर टिके न रहने के कारण ही मानव को घुमक्कड़ कहा गया है। महापंडित राहुल सांस्कृत्यायन का कहना है-"धुमक्कड़ी दुनिया की सर्वश्रेष्ठ विभूति है, इसलिए कि उसी ने आज की दुनिया को बनाया है। अगर घुमक्कड़ों के काफिले न आते-जाते, तो सुस्त मानव जातियाँ सो जातीं और पशु स्तर ऊपर नहीं उठ पातीं।"


'घुमक्कड़ी' का आधुनिक रूप पर्यटन बन गया है। जब मानव को दूसरे स्थान की खूबियों का पता चलता है तो वह वहाँ के साक्षात दर्शन के लिए उत्सुक हो उठता है। वर्तमान व प्राचीन समय में बहुत अंतर आ गया है। पहले घुमक्कड़ी अत्यंत कष्टसाध्य थी, क्योंकि संचार व यातायात के साधनों का अभाव था । संसाधन भी कम थे तथा पर्यटनस्थल पर सुविधाएँ भी विकसित नहीं थीं आज विज्ञान का प्रताप है कि मनुष्य को बाहर जाने में कोई कठिनाई नहीं होती। आज मनुष्य में सिर्फ बाहर घूमने का उत्साह, धैर्य, साहसिकता, जोखिम उठाने की तत्परता होनी चाहिए, शेष सुविधाएँ विज्ञान उन्हें प्रदान कर देता है


20वीं सदी से पर्यटन एक उद्योग के रूप में विकसित हो गया है। विश्व के लगभग सभी देशों में पर्यटन मंत्रालय बनाए गए हैं। हर देश अपने ऐतिहासिक स्थलों, अद्भुत भौगोलिक स्थलों को सजा-सँवारकर दुनिया के सामने प्रस्तुत करना चाहता है। मनोरम पहाड़ी स्थलों पर पर्यटक आवास स्थापित किए जा रहे हैं पर्यटकों के लिए आवास, भोजन, मनोरंजन आदि की व्यवस्था के लिए नए-नए होटलों, लाजों और पर्यटन-गृहों का निर्माण किया जा रहा है। यातायात के सभी प्रकार के सुलभ व आवश्यक साधनों की व्यवस्था की जा रही है। हरेक देश का पर्यटन मंत्रालय विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए दूतावासों के जरिए अपने-अपने देश की भव्यता, दर्शनीयता के बारे में विदेशों में सुनियोजित तरीके से प्रचार करते हैं । इस प्रकार पर्यटन आज मुनाफ़ा देने वाला व्यवसाय बन गया है। जिन के लिए रंग-बिरंगी पुस्तिकाएँ, आकर्षक पोस्टर, पर्यटन स्थलों के रंगीन चित्र, आवास, यातायात आदि सुविधाओं का लगभग सभी प्रमुख सार्वजनिक स्थलों पर मिलता है ।


पर्यटन के प्रति रुचि जगाने के लिए लघु फ़िल्में भी तैयार की जाती हैं। विशेष स्थलों या प्रदेशों में बने कथाचित्र भी लोगों के मन में उस स्थान को देखने की लालसा जगा देते हैं। कई पर्यटन स्थलों पर संगीत, नृत्य, नाटक आदि का आयोजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त, चर्चाएँ, कला विशेष का प्रदर्शन आदि भी पर्यटन को बढ़ावा देते हैं।


पर्यटन के अनेक लाभ हैं: जैसे-आनंद-प्राप्ति, जिज्ञासा की पूर्ति आदि। इसके अतिरिक्त, पर्यटन से अंतर्राष्ट्रीयता की समझ विकसित होती है। मनुष्य का दृष्टिकोण विस्तृत होता है। प्रेम व सौहार्द्र का प्रसार होता है। सभ्यता-संस्कृतियों का परिचय मिलता-बढ़ता है। इसके माध्यम से स्थान या देश के संबंध में फैली भ्रांतियाँ दूर हो जाती हैं। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भावना को पर्यटन से ही बढ़ावा मिलता है। पर्यटन के दौरान ही व्यक्ति को यथार्थ जीवन का आभास होता है। उसे कठोर पर्यावरण में जीने का अभ्यास होता है। मानव-जीवन की एकरसता पर्यटन से ही समाप्त होती है। यह मनुष्य को काल्पनिक दुनिया से बाहर निकालता है तथा संबंधित स्थान या दृश्य को साकार रूप में दर्शाता है।

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