अपठित-बोध क्या है?
अपठित-बोध (गद्यांश) | अपठित' शब्द 'पठित' में 'अ' उपसर्ग लगाने से बना है, जिसका अर्थ होता है जिसे पहले न पढ़ा गया हो। 'अपटित-बोध' गद्य अथवा पद्य (काव्य) दोनों ही रूपों में हो सकता है। इन्हीं गदयांशों या काव्यांशों पर प्रश्न पूछे जाते हैं, जिससे विद्यार्थियों की अर्थग्रहण-क्षमता का आकलन किया जा सके।
अपठित बोध हल करते समय आने वाली कठिनाइयाँ
अपठित-बोध पहले से न पढ़ा होने के कारण इस पर आधारित प्रश्नों को हल करने में विद्यार्थी परेशानी महसूस करते हैं। कुछ विद्यार्थी अपठित का भाव या अर्थग्रहण किए बिना अनुमान के आधार पर उत्तर लिखना शुरू कर देते हैं। इस प्रवृत्ति से बचना चाहिए। कुछ विद्यार्थी प्रश्नों के उत्तर के रूप में अपठित की कुछ पंक्तियाँ उतार देते हैं। चुंकि वे अपठित का अर्थ समझे बिना ऐसा करते हैं, इसलिए न तो उत्तर देने की यह सही विधि है और न उत्तर सही होने की गारंटी। ऐसे में अपठित को ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए। अपठित का कोई अंश, वाक्य या शब्द-विशेष समझ में न आए तो भी घबराना या परेशान नहीं होना चाहिए। अपठित के भाव और प्रमुख विचारों को समझ लेने से भी प्रश्नों का उत्तर सरलता से दिया जा सकता है।
अपठित गद्यांश की आवश्यकता क्यों?
अपठित गद्यांश को पढ़ने, समझने और हल करने से अर्थग्रहण की शक्ति का विकास होता है। इससे किसी गद्यांश के विचारों और भावों को अपने शब्दों में बाँधने की दक्षता बढ़ती है। इसके अलावा भाषा पर गहन पकड़ बनती है।
अपठित गद्यांश पर पूछे जाने वाले प्रश्न
अपठित गद्यांश से संबंधित विविध प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं, जिनके उत्तर विद्यार्थी को देने होते हैं। इसमें अर्थग्रहण तथा कथ्य से संबंधित प्रश्नों के उत्तर के अलावा गद्यांश में आए कुछ कठिन शब्दों, मुहावरों, लोकोक्तियों आदि का अर्थ भी पूछा जाता है। इसके अंतर्गत वाक्य रचनांतरण, शीर्षक-संबंधी प्रश्नों अलावा किसी वाक्य या वाक्यांश का आशय स्पष्ट करने के लिए भी कहा जा सकता है ।
कैसे हल करें अपठित गद्यांश
अपठित-गद्यांश के अंतर्गत पूछे जाने वाले प्रश्न दिए गए अंशों पर आधारित होते हैं । अत: इनका उत्तर भी हमें गद्यांश के आधार पर देना चाहिए, अपने व्यक्तिगत सोच-विचार पर नहीं।
इसके अलावा इन प्रश्नों को हल करते समय निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान देना चाहिए :
(1) दिए गए गद्यांश को दो-तीन बार ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए।
(ii) इस समय जिन प्रश्नों के उत्तर मिल जाएँ, उन्हें रेखांकित कर लेना चाहिए।
(iii) अब बचे हुए एक-एक प्रश्न का उत्तर सावधानीपूर्वक खोजना चाहिए।
(iv) प्रश्नों के उत्तर सदैव अपनी ही भाषा में लिखना चाहिए।
(v) भाषा सरल, सुबोध, बोधगम्य तथा व्याकरण-सम्मत होनी चाहिए।
(vi) प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर ही देने चाहिए।
(vii) प्रश्न जिस काल या प्रारूप में दिया हो, उत्तर भी उसी के अनुरूप देना चाहिए। दिए गए अवतरण के अंश को बिलकुल उसी रूप में नहीं उतारना चाहिए।
(viii) कुछ शब्दों के एक से अधिक अर्थ होते हैं। ऐसे में व्याकरणिक प्रश्नों के उत्तर देते समय अवतरण में वर्णित प्रसंग को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए।
(ix) पर्यायवाची, विलोम तथा अर्थ संबंधित उत्तर सावधानी से देना चाहिए।
(x) प्रश्नों के उत्तर में अनावश्यक विस्तार करने से बचना चाहिए, फिर भी एक अंक और दो अंक के प्रश्नों के उत्तरों में शब्द-सीमा का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।
शीर्षक-संबंधी प्रश्न का उत्तर कैसे दें?
शीर्षक-संबंधी प्रश्न का उत्तर देते समय गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए तथा मूल भाव या कथ्य समझने का प्रयास करना चाहिए। इसके अलावा निम्नलिखित बातों का भी ध्यान रखना चाहिए :
(i) शीर्षक कम-से-कम शब्दों में लिखना चाहिए।
(ii) शीर्षक का चुनाव गद्यांश से ही संबंधित होना चाहिए।
(iii) शीर्षक पढ़कर ही गद्यांश के मूलभाव का अनुमान लगाया जाना चाहिए।
अपने ज्ञान का परीक्षण करें। विभिन्न अपठित गद्यांश उत्तर सहित ।
- अपठित गद्यांश - अभ्यास पत्र
धन्यवाद! सर जी, इसे पढ़ने के बाद मेरे सारे प्रश्नों का उत्तर मुझे मिल गया!
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